प्रदेश सरकार चार महीने में लोक सेवा आयोग के सात सदस्यों का चयन नहीं कर सकी। सरकार की इस सुस्ती का असर आयोग के काम पर पड़ रहा है। आयोग में सीधी भर्तियों के इंटरव्यू व परिणाम प्रभावित हो ही रहे हैं। .
आयोग की व्यवस्था अध्यक्ष और सदस्य ही संचालित करते हैं। आयोग के विभिन्न कार्यों के निष्पादन के लिए कई कमेटियां बनाई गई हैं, जिसमें यह सदस्य कमेटी अध्यक्ष के तौर पर अपनी भूमिका निभाते हैं। हालत यह है कि वर्तमान में आठ के स्थान पर सिर्फ दो सदस्य प्रो. डीपी द्विवेदी और डॉ. जयराम प्रसाद वैद्य हैं। शासन ने सदस्यों के सात पदों के लिए इस वर्ष अप्रैल में चयन प्रक्रिया शुरू की थी। पहली बार इस इस पद के लिए 25 अप्रैल से 25 मई तक ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। उम्मीद थी कि सदस्यों के सेवानिवृत होने से पूर्व ही चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी लेकिन चार माह बाद भी चयन नहीं हो सका।.
आयोग के नियमों के मुताबिक सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष या 62 वर्ष की आयु, इनमें से जो पहले हो, तक के लिए होता है। सपा काल में नियुक्त तीन सदस्यों डॉ. सुनील जैन, सैयद फरमान अली और मेजर संजय यादव छह साल का कार्यकाल पूरा कर 15 जून 2018 को सेवानिवृत्त हो गए थे। अनिल गुप्ता का कार्यकाल भी बीस जून 2018 को समाप्त हो गया था तो सदस्य लोरिक यादव और डीसी मिश्र अगस्त में सेवानिवृत्त हो गए।.
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