सीबीआइ ने मध्य भारत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और जीवाक राष्ट्रीय विद्यापीठ के 10 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे मारे। इस दौरान आठ टीमों में शामिल 25 से ज्यादा अधिकारियों ने दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। सीबीआइ को फर्जी बोर्ड से 114 स्कूलों को मान्यता दिए जाने के प्रमाण मिले हैं। 1सीबीआइ को पिछले माह लखनऊ व गाजियाबाद में फर्जी शिक्षा बोर्ड पर दर्ज हुए दो मुकदमे ट्रांसफर हुए थे। बुधवार को सीबीआइ की टीमें सर्च वारंट लेकर गाजियाबाद, कासगंज, संभल (यूपी), ग्वालियर पहुंचीं। यहां टीमों ने सुबह करीब छह बजे से छापेमारी शुरू की। इस दौरान सीबीआइ ने जाली मार्कशीट, प्रमाणपत्र, मुहरें, रजिस्टर समेत विभिन्न दस्तावेज कब्जे में लिए। सीबीआइ को फर्जी शिक्षा बोर्ड के निदेशक महेश चंद्रवंशी के दफ्तर और घर से फर्जीवाड़े के अहम सुबूत मिले हैं सीबीआइ के प्रभारी एसपी अखिल कौशिक ने बताया कि सर्च वारंट के साथ यह कार्रवाई की गई। महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। इनका अध्ययन किया जाएगा। इस मामले में डेढ़ सौ से ज्यादा स्कूलों को मान्यता दिए जाने की बात सामने आई है। जांच में पता चला है कि बोर्ड का गठन 2010 में किया गया और बोर्ड को किसी भी राज्य में मान्यता नहीं है। इतना ही नहींबोर्ड द्वारा अभ्यर्थियों को 1998 और लेकर उसके बाद के वषों की तारीख की मार्कशीटें व प्रमाणपत्र भी जारी किए गए।
Thursday, 13 September 2018
फर्जी शिक्षा बोर्ड मामले में दस ठिकानों पर सीबीआइ का छापा
सीबीआइ ने मध्य भारत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और जीवाक राष्ट्रीय विद्यापीठ के 10 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे मारे। इस दौरान आठ टीमों में शामिल 25 से ज्यादा अधिकारियों ने दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। सीबीआइ को फर्जी बोर्ड से 114 स्कूलों को मान्यता दिए जाने के प्रमाण मिले हैं। 1सीबीआइ को पिछले माह लखनऊ व गाजियाबाद में फर्जी शिक्षा बोर्ड पर दर्ज हुए दो मुकदमे ट्रांसफर हुए थे। बुधवार को सीबीआइ की टीमें सर्च वारंट लेकर गाजियाबाद, कासगंज, संभल (यूपी), ग्वालियर पहुंचीं। यहां टीमों ने सुबह करीब छह बजे से छापेमारी शुरू की। इस दौरान सीबीआइ ने जाली मार्कशीट, प्रमाणपत्र, मुहरें, रजिस्टर समेत विभिन्न दस्तावेज कब्जे में लिए। सीबीआइ को फर्जी शिक्षा बोर्ड के निदेशक महेश चंद्रवंशी के दफ्तर और घर से फर्जीवाड़े के अहम सुबूत मिले हैं सीबीआइ के प्रभारी एसपी अखिल कौशिक ने बताया कि सर्च वारंट के साथ यह कार्रवाई की गई। महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। इनका अध्ययन किया जाएगा। इस मामले में डेढ़ सौ से ज्यादा स्कूलों को मान्यता दिए जाने की बात सामने आई है। जांच में पता चला है कि बोर्ड का गठन 2010 में किया गया और बोर्ड को किसी भी राज्य में मान्यता नहीं है। इतना ही नहींबोर्ड द्वारा अभ्यर्थियों को 1998 और लेकर उसके बाद के वषों की तारीख की मार्कशीटें व प्रमाणपत्र भी जारी किए गए।
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