Friday, 28 September 2018

68500 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में राज्य सरकार को धीमी जांच पर फिर फटकार, महाधिवक्ता व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता को सुनायी खरी-खरी


लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में 68500 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका बदलने के मामले में गुरुवार को राज्य सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई और पेश की गई जांच की प्रगति रिपोर्ट पर घोर असंतोष जताया। कोर्ट ने कहा कि अब तक की जांच रिपोर्ट देखने से प्रतीत होता है कि जैसे कोई विभागीय जांच हो रही है जबकि जांच कमेटी को कथित रूप से हुए भष्टाचार की जांच करनी थी। कोर्ट में जस्टिस इरशाद अली ने महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह और उनके सहयोगी अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविणय सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार जांच के नाम पर केवल लीपापोती करती प्रतीत हो रही है। 1कोर्ट के सख्त रुख के बाद महाधिवक्ता ने स्वीकार किया कि परीक्षा में गड़बड़ियां हुईं परंतु यह कहकर बचाव करने की कोशिश भी की कि उक्त गड़बड़ियां जानबूझकर नहीं की गईं। अब तक हुई जांच के तरीके से असंतुष्ट कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि यदि सरकार ठीक से जांच नहीं कर सकती तो कोर्ट उसे बतायेगी कि जांच कैसे की जाये। जस्टिस इरशाद अली ने कहा कि वह इस प्रकरण में आदेश को सुरक्षित कर रहे हैं जिसे बाद में लिखवाएंगे। दरअसल कोर्ट ने सोनिका देवी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवायी के दौरान पाया था कि उसकी उत्तर पुस्तिका ही बदल दी गयी थी जिसके चलते उसे परीक्षा में असफल घोषित कर दिया गया था। उत्तर पुस्तिका बदलने की बात सामने आने पर महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि मामले की जांच की जायेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करायी जायेगी। कोर्ट के सख्त रुख के बाद राज्य सरकार ने 8 सितम्बर को प्रमुख सचिव गन्ना उद्योग संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले में हुई गड़बड़ी की जांच उन्हें सौंप दी थी। कोर्ट ने 25 सितम्बर को सुनवाई के समय पाया कि तीन हफ्ते बीतने के बाद भी जांच में खास प्रगति नहीं हुई है। इस पर उसने सरकार को आदेश दिया था कि गुरुवार को सरकार जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करे नहीं तो कमेटी के चेयरमैन को व्यक्तिगत रूप से सभी दस्तावेजों के साथ हाजिर होकर सफाई देनी होगी।आदेश के अनुपालन में अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कोर्ट में जांच की प्रगति आख्या हलफनामा के साथ पेश की जिसे देखते ही कोर्ट ने पूछा कि यही प्रगति है तीन हफ्तों में। जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।




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