सरकारी उपेक्षा और कानूनी लड़ाई के बीच बीएड-टीईटी पास हजारों बेरोजगार तकरीबन छह साल से नौकरी के इंतजार में बैठे हैं। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई के बावजूद एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर दिसंबर 2012 में जारी 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के आवेदकों को इंसाफ नहीं मिल सका है। यही नहीं फीस के रूप में बेरोजगारों से लिए गए 290 करोड़ रुपये भी सरकार ने वापस नहीं किये।.
बसपा सरकार ने 30 नवंबर 2011 को प्राथमिक स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती टीईटी मेरिट से शुरू की थी। लेकिन टीईटी में धांधली के आरोप लगने और तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद सपा सरकार ने मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में गठित कमेटी से प्रकरण की जांच कराई। जांच के बाद सरकार ने 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती टीईटी मेरिट की बजाय एकेडमिक रिकार्ड (शैक्षिक गुणांक) के आधार पर करने का निर्णय लिया। इसके लिए दिसंबर 2012 में विज्ञापन जारी हुआ। अभ्यर्थियों से हर जिले में आवेदन को 500-500 रुपये फीस ली गई। .
जिन्होंने 75 जिलों से आवेदन किया उन्हें 40 हजार रुपये तक खर्च करने पड़े। जबकि अधिकतर ने 25 से 30 हजार फीस के रूप में सरकार को दिए। फीस के रूप में सरकार को 2,89,98,54,400 रुपये प्राप्त हुए थे। इसके लिए चार फरवरी 2013 को काउंसिलिंग शुरू हुई लेकिन उसी दिन हाईकोर्ट ने एकेडमिक रिकार्ड से हो रही भर्ती पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने 20 नवंबर 2013 को 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती टीईटी मेरिट से करने का फैसला सुनाया। इसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही 72,825 में से 66,655 पदों पर टीईटी मेरिट से नियुक्ति हो चुकी है। सर्वोच्च न्यायालय ने 25 जुलाई 2017 के आदेश को सरकार पर छोड़ दिया है कि वह चाहे तो 6170 पदों पर विज्ञापन जारी कर नियमानुसार भर्ती कर सकती है। लेकिन इसमें दिसंबर 2012 की भर्ती के संबंध कोई निर्देश नहीं है।
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