सोरांव के शिक्षामित्र सोहन लाल कुशवाहा (बाएं) ने होली पर लगाई रंगों की दुकान।
सोरांव के शिक्षामित्र सोहन लाल कुशवाहा (बाएं) ने होली पर लगाई रंगों की दुकान।
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी ङोल रहे शिक्षामित्रों ने घर खर्च के लिए होली पर पिचकारी और रंग आदि की दुकान लगाई। 13 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान मेजा के सोहन लाल कुशवाहा ने दुकान लगाई थी। सोहन का कहना है कि बच्चों के पालन, फीस आदि के लिए मजबूरी में अस्थायी दुकान लगानी पड़ी। इसी प्रकार कोरांव के शिक्षामित्र जगदीश केसरी ने भी रंग व पिचकारी की दुकान लगायी थी।
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी ङोल रहे शिक्षामित्रों ने घर खर्च के लिए होली पर पिचकारी और रंग आदि की दुकान लगाई। 13 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान मेजा के सोहन लाल कुशवाहा ने दुकान लगाई थी। सोहन का कहना है कि बच्चों के पालन, फीस आदि के लिए मजबूरी में अस्थायी दुकान लगानी पड़ी। इसी प्रकार कोरांव के शिक्षामित्र जगदीश केसरी ने भी रंग व पिचकारी की दुकान लगायी थी।
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी ङोल रहे शिक्षामित्रों ने घर खर्च के लिए होली पर पिचकारी और रंग आदि की दुकान लगाई। 13 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान मेजा के सोहन लाल कुशवाहा ने दुकान लगाई थी। सोहन का कहना है कि बच्चों के पालन, फीस आदि के लिए मजबूरी में अस्थायी दुकान लगानी पड़ी। इसी प्रकार कोरांव के शिक्षामित्र जगदीश केसरी ने भी रंग व पिचकारी की दुकान लगायी थी।
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी ङोल रहे शिक्षामित्रों ने घर खर्च के लिए होली पर पिचकारी और रंग आदि की दुकान लगाई। 13 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान मेजा के सोहन लाल कुशवाहा ने दुकान लगाई थी। सोहन का कहना है कि बच्चों के पालन, फीस आदि के लिए मजबूरी में अस्थायी दुकान लगानी पड़ी। इसी प्रकार कोरांव के शिक्षामित्र जगदीश केसरी ने भी रंग व पिचकारी की दुकान लगायी थी।
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