Sunday, 4 March 2018

SHIKSHAMITRA : शिक्षामित्रों ने नहीं मनाया होली पर्व , साथियों की असमय मौत और महीनों से मानदेय नहीं मिलने से व्यथित हैं शिक्षामित्र

इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाताजिले के 3600 शिक्षामित्रों ने होली नहीं मनाई। आर्थिक संकट से जूझ रहे साथियों की हो रही असामयिक मृत्यु और महीनों से मानदेय नहीं मिलने से व्यथित हो कर शिक्षामित्रों ने होली पर न तो रंग खेला और न ही पकवान बनाये। शिक्षामित्रों का दावा है कि 25 जुलाई 2017 के बाद से पूरे प्रदेश में लगभग 450 साथी अवसाद ग्रसित होकर काल के गाल में समा चुके हैं। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वसीम अहमद ने कहा कि तकरीबन 150 असायोजित शिक्षामित्रों को 13 महीने से मानदेय नहीं मिला है, जबकि सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने वाले 1200 शिक्षामित्रों को जुलाई 2017 के बाद से मानदेय नहीं मिल सका है। प्राथमिक विद्यालय रतौरा कोरांव के शिक्षामित्र दशरथ भारती, प्राथमिक विद्यालय हर्दी में समायोजित शिक्षामित्र पुष्पा पटेल एवं प्रीति केसरवानी का कहना है कि घर चलाना मुश्किल हो गया है। शिक्षामित्र संघ ने शनिवार की शाम स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह से उनके राजापुर स्थित आवास पर मुलाकात कर ज्ञापन दिया।
सोरांव के शिक्षामित्र सोहन लाल कुशवाहा (बाएं) ने होली पर लगाई रंगों की दुकान।
सोरांव के शिक्षामित्र सोहन लाल कुशवाहा (बाएं) ने होली पर लगाई रंगों की दुकान।
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी ङोल रहे शिक्षामित्रों ने घर खर्च के लिए होली पर पिचकारी और रंग आदि की दुकान लगाई। 13 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान मेजा के सोहन लाल कुशवाहा ने दुकान लगाई थी। सोहन का कहना है कि बच्चों के पालन, फीस आदि के लिए मजबूरी में अस्थायी दुकान लगानी पड़ी। इसी प्रकार कोरांव के शिक्षामित्र जगदीश केसरी ने भी रंग व पिचकारी की दुकान लगायी थी।
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी ङोल रहे शिक्षामित्रों ने घर खर्च के लिए होली पर पिचकारी और रंग आदि की दुकान लगाई। 13 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान मेजा के सोहन लाल कुशवाहा ने दुकान लगाई थी। सोहन का कहना है कि बच्चों के पालन, फीस आदि के लिए मजबूरी में अस्थायी दुकान लगानी पड़ी। इसी प्रकार कोरांव के शिक्षामित्र जगदीश केसरी ने भी रंग व पिचकारी की दुकान लगायी थी।
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी ङोल रहे शिक्षामित्रों ने घर खर्च के लिए होली पर पिचकारी और रंग आदि की दुकान लगाई। 13 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान मेजा के सोहन लाल कुशवाहा ने दुकान लगाई थी। सोहन का कहना है कि बच्चों के पालन, फीस आदि के लिए मजबूरी में अस्थायी दुकान लगानी पड़ी। इसी प्रकार कोरांव के शिक्षामित्र जगदीश केसरी ने भी रंग व पिचकारी की दुकान लगायी थी।
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी ङोल रहे शिक्षामित्रों ने घर खर्च के लिए होली पर पिचकारी और रंग आदि की दुकान लगाई। 13 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान मेजा के सोहन लाल कुशवाहा ने दुकान लगाई थी। सोहन का कहना है कि बच्चों के पालन, फीस आदि के लिए मजबूरी में अस्थायी दुकान लगानी पड़ी। इसी प्रकार कोरांव के शिक्षामित्र जगदीश केसरी ने भी रंग व पिचकारी की दुकान लगायी थी।



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