नई दिल्ली श्याम सुमन हंिदूी और क्षेत्रीय भाषाओं के 15 छात्रों ने सिविल सेवा (यूपीएससी) परीक्षा में लागू सीसैट टेस्ट की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।इन छात्रों ने कहा है कि 2011 से शुरू यह टेस्ट शहरी पृष्ठभूमि के अंग्रेजी बोलने वाले विज्ञान / इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई किए गए छात्रों के लिए ज्यादा लाभकारी है, जबकि ग्रामीण पृष्ठभूमि, हिन्दी समेत क्षेत्रीय भाषा माध्यम तथा मानवीकीय विषयों से आने वाले छात्रों के साथ बेहद भेदभावपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सीसैट के शुरू होने से हिन्दी भाषी और क्षेत्रीय भाषाओं से आने वाले छात्रों को पास फीसदी बुरी तरह से गिरा है। यूपीएससी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2008 से 2010 में यह प्रतिशत 40 से 45 था लेकिन 2011 के बाद यह गिरकर 15 फीसदी पर आ गया है। सीसैट को चुनौती देने वालों में यूपी, बिहार झारखंड, आंध्र, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, हरियाणा, असम, प. बंगाल, दिल्ली, ओडिशा और तमिलनाडु के छात्र हैं।
सिविल सेवा परीक्षा में सीसैट दूसरे वैकल्पिक पेपर की जगह शुरू किया गया है। इसमें कंप्रीहेंशन, इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन स्किल, लॉजिकल रिजनिंग, एनालिटिकल एबिलिटी, डिसीजन मेकिंग व प्राब्लम सालिं्वग, जनरल मेंटल एबिलिटी, बेसिक न्यूमरेसी, डाटा इंटरपट्रेशन व इंग्लिश लैंग्वेज कंप्रीहेंशन आदि के सवाल होते हैं। जबकि वैकल्पिक पेपर में 23 सूचीबद्ध विषयों में से एक विषय चुनकर उसमें परीक्षा देनी होती थी।
upsc: सीसैट की वैधता को कोर्ट में चुनौती, दूसरे वैकल्पिक पेपर की जगह शुरू किया गया सीसैट
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