Sunday, 10 December 2017

BASIC SHIKSHA : बोर्ड के गठन में सुस्ती से डेढ़ लाख भर्तियां अटकीं , ये पद अभी हैं खाली

ये पद अभी हैं खाली
’उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग-एक लाख से ज्यादा पद खाली
’उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड-लगभग 25 हजार पद खाली
’उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग-लगभग 12 हजार पद खाली
राज्य मुख्यालय राजीव ओझामाध्यमिक विद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों तथा विभिन्न सरकारी विभागों में अराजपत्रित श्रेणी के पदों पर चयन के लिए भर्ती बोडरें के गठन की प्रक्रिया अटकी पड़ी है। ऐसे में प्रदेश में विभिन्न विभागों में करीब 1.5 लाख से ज्यादा पदों पर होने वाली भर्ती भी रुकी है।प्रदेश की भाजपा सरकार ने सत्ता संभालते ही उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग व उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से चल रही चयन प्रक्रियाओं पर रोक लगा दी थी। तीनों भर्ती बोडरें में अलग-अलग पदों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया चल रही थी। अधीनस्थ सेवा आयोग ने ग्राम विकास अधिकारी, कनिष्ठ सहायक व सहायक लेखाकार के लगभग 11500 पदों पर लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर साक्षात्कार की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी लेकिन भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते यह प्रक्रिया रोक दी गई। बाद में आयोग के अध्यक्ष राज किशोर यादव ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद तो तकनीकी तौर पर सभी पदों की चयन प्रक्रिया रुक गई। मौजूदा समय में आयोग के माध्यम से होने वाली भर्तियों के करीब एक लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। उधर, आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य के रिक्त पदों पर चयन की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। कुछ ऐसी ही स्थिति माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एवं उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के गठन को लेकर है। प्रदेश में निकाय चुनाव की आचार संहिता के कारण इसका गठन अधर में लटका है। दोनों संस्थाओं के अध्यक्ष एवं सदस्य के रिक्त पदों पर चयन के लिए दोबारा विज्ञापन जारी करना पड़ा। दोनों संस्थाओं में अधिकारियों के सभी पदों पर नियुक्ति के बाद ही अधर में पड़ी चयन प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के लगभग 25 हजार पद और डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के लगभग 12 हजार पद खाली पड़े हैं।



BASIC SHIKSHA : बोर्ड के गठन में सुस्ती से डेढ़ लाख भर्तियां अटकीं , ये पद अभी हैं खाली Rating: 4.5 Diposkan Oleh: bankpratiyogi

0 comments:

Post a Comment