इलाहाबाद प्रमुख संवाददातासपा शासनकाल के दौरान लोक सेवा आयोग में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच की घोषणा हुए चार माह बीत गए। 19 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में घोषणा की थी। इसके कुछ दिन बाद ही सरकार ने केंद्र सरकार को जांच की संस्तुति भी भेज दी थी लेकिन आज तक इस मामले में कुछ नहीं हो सका। इसलिए प्रतियोगियों का धैर्य एक बार फिर जवाब दे रहा है। पीसीएस प्री 2017 परीक्षा में पूछे गए छह गलत प्रश्नों ने प्रतियोगियों के आक्रोश में इजाफा किया है। प्रतियोगी सवाल खड़े कर रहे हैं कि इस प्रतिष्ठित परीक्षा में पहले की तरह ही गलत प्रश्न पूछे जा रहे हैं तो बदलाव क्या हुआ? प्रतियोगी इस मुद्दे को लेकर आंदोलन का मन बना रहे हैं। इसकी अगुवाई युवा मंच ने की है।रविवार को हुई मंच की बैठक में शामिल युवाओं ने कहा कि चार माह बाद भी यह जानकारी नहीं मिल पा रही है कि सीबीआई ने जांच शुरू की या नहीं। युवाओं ने कहा कि विधानसभा चुनाव में आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे को भाजपा ने प्रमुखता से उठाया था। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका संज्ञान लिया था। लेकिन सरकार गठन के आठ माह बाद भी इस दिशा में सरकार के स्तर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बैठक में लोक सेवा आयोग समेत सभी भर्ती संस्थाओं की चयन प्रक्रिया को पादरर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए अभियान शुरू करते हुए दिसम्बर के दूसरे पखवारे में कलक्ट्रेट में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया।युवाओं ने सीएम पर भर्तियों को लेकर गलत बयानी का आरोप लगाते हुए रिक्त पदों को आउटसोर्स करने की निंदा की। बैठक में युवा मंच के प्रवक्ता उदय सिंह लोधी, स्वराज अभियान के राजेश सचान, बीएड उत्थान जनमोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष संगीता पाल, मीडिया प्रभारी छाया कुशवाहा, उमाशंकर सिंह, मनीष सिन्हा, मो. जाबिर रजा, रवि कुमार, रजनीश यादव, राजीव राय, राम नरेश, मनोज, सुनील यादव आदि उपस्थित थे।
इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाताबेसिक शिक्षा विभाग के बीएसए स्तर के 87 अफसर जांच चालू होने और सीआर पूरी नहीं होने के कारण बच गए। उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा समूह-‘ख’ उच्चतर श्रेणी में कार्यरत 50 वर्ष से अधिक आयु के अधिकारियों के संबंध में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह की अध्यक्षता में 16 नवम्बर को बुलाई गई थी।कमेटी ने इस संवर्ग में कार्यरत कुल 171 अधिकारियों के संबंध में उनके उपलब्ध सेवा अभिलेखों के आधार पर विचार किया। इनमें से 76 अधिकारियों को सेवा में रखने योग्य पाया गया, जबकि 87 अधिकारियों के प्रकरण उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई चालू होने या उनकी चरित्र पंजी (सीआर) की प्रविष्टियां अपूर्ण होने के कारण अगली बैठक तक स्थगित रखने की संस्तुति की गई है। कमेटी ने आठ अधिकारियों को सेवा के लिए अयोग्य पाते हुए स्क्रीन आउट किए जाने का निर्णय लिया। इनके नाम अब तक जारी नहीं किए गए हैं। अफसरों को मिला लापरवाही का फायदा : कई अफसरों को लापरवाही का फायदा मिल गया। सीआर पूरी होती तो शायद उन पर भी कार्रवाई के लिए विचार होता। दरअसल बीएसए स्तर के तमाम ऐसे अफसर हैं जो सीधे पीईएस चयनित नहीं हुए हैं। ये अफसर प्रमोशन पाकर समूह ‘ख’ सेवा में पहुंचे हैं। रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके इन अफसरों का सीआर अधूरा है। शिक्षा निदेशालय के सूत्रों की मानें तो एक-दो महीने में सभी की सीआर रिपोर्ट पूरी हो जाएगी
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