Thursday, 11 September 2025

UP सहित देशभर में 10 लाख शिक्षक संकट में, सर्विस बचाने को केंद्र-राज्य पर नजर

 UP सहित देशभर में 10 लाख शिक्षक संकट में, सर्विस बचाने को केंद्र-राज्य पर नजर


देशभर के शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला बड़ी चिंता का कारण बन गया है। कोर्ट ने 2011 से पहले नियुक्त हुए सरकारी शिक्षकों के लिए भी टीईटी (Teacher Eligibility Test) अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले से करीब 10 लाख से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है।

📌 क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सभी शिक्षकों को भी टीईटी परीक्षा पास करनी होगी।

शिक्षकों को यह परीक्षा पास करने के लिए दो साल का समय (2027 तक) दिया गया है।

यदि वे यह परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं, तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है।

समस्या कहाँ है?

अब तक 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता से छूट थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी सर्विस भी प्रभावित हो सकती है।

इससे केवल नौकरी ही नहीं बल्कि प्रमोशन और सेवा सुरक्षा पर भी सवाल उठ गए हैं।

शिक्षक संघों का कहना है कि यह फैसला 10 लाख से अधिक शिक्षकों और उनके परिवारों की आजीविका को प्रभावित करेगा।

📝 समाधान क्या है?

केंद्र और राज्य सरकारें चाहें तो शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act) की धारा 23(2) में संशोधन कर सकती हैं।

संशोधन के जरिए 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता से छूट दी जा सकती है।

यदि सरकार चाहे तो प्रमोशन के लिए टीईटी अनिवार्यता रख सकती है, लेकिन नौकरी सुरक्षा को इससे जोड़ा न जाए।

👥 प्रभावित लोगों की संख्या

इस फैसले से 10 लाख से अधिक सरकारी शिक्षक सीधे प्रभावित होंगे।

यदि इसे निजी स्कूलों पर भी लागू किया गया तो प्रभावितों की संख्या करोड़ों तक पहुंच सकती है।


📢 शिक्षकों की मांग

शिक्षक संघों ने केंद्र और राज्य सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की है।

वे चाहते हैं कि मौजूदा शिक्षकों की सेवा सुरक्षित की जाए और टीईटी केवल नई भर्तियों और प्रमोशन तक सीमित रहे।

संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

UP सहित देशभर में 10 लाख शिक्षक संकट में, सर्विस बचाने को केंद्र-राज्य पर नजर



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