Tuesday, 11 March 2025

जरूरतमंद बच्चों की संख्या के हिसाब से देशभर में विशेष शिक्षक नियुक्त करने का आदेश

 सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को मूक, बधिर, दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को समुचित शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षकों के पद सृजित करने और नियुक्ति करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने विशेष जरूरत वाले इन बच्चों की संख्या के आधार पर विशेष शिक्षकों के पद सृजित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने पिछले कई सालों से विशेष जरूरत वाले बच्चों को संविदा/दैनिक आधार पर पढ़ा रहे विशेष शिक्षकों को अधिसूचित पद के अनुसार वेतन व भत्ता देने का आदेश दिया है।


जस्टिस सुधांशु धूलिया और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तीन सप्ताह के भीतर विशेष जरूरत वाले बच्चों को समुचित शिक्षा देने के लिए स्वीकृत पदों की संख्या के साथ अधिसूचना जारी करेंगे। पीठ ने सभी राज्यों को तीन सप्ताह के भीतर पदों को स्वीकृत और अधिसूचित किए जाने के बाद यानी 28.मार्च, 2025 को या उससे पहले विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए संबंधित राज्यों में व्यापक प्रसार वाले कम से कम दो समाचार पत्रों में और साथ ही शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर और प्रत्येक राज्य की आधिकारिक सरकारी वेबसाइट पर विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने प्राथमिक विद्यालय के लिए 1:10 और मध्य एवं माध्यमिक विद्यालय के लिए 1:15 शिक्षक-छात्र के अनुपात में विशेष शिक्षकों के पद सृजित करने और नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने इस बात के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आड़े हाथ लिया कि इस अदालत के 2021 को पारित फैसले और समय समय दिए गए निर्देशों के बाद भी सरकार ने इस दिशा में समुचित कदम नहीं उठाया। पीठ ने कहा कि जब राज्यों को विशेष जरूरत वाले बच्चों की संख्या के बारे में जानकारी है तो उसे पहले ही, इस दिशा में कदम उठा लेनी चाहिए थी।



शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि विशेष शिक्षकों की चयन और नियुक्ति केवल योग्य/सक्षम/पात्र शिक्षकों की ही की जाए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में पारित अपने फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि विशेष शिक्षकों की नियुक्ति भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) द्वारा तय योग्यता प्रमाण पत्र की आवश्यकता को भी ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। साथ ही कहा है कि आरसीआई प्रमाण पत्र नहीं रखने वाला उम्मीदवार की नियुक्ति अयोग्य माना होगा।



सालों से संविदा पर कार्यरत विशेष शिक्षकों को मिलेगा नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन व भत्ता

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सहित कई राज्यों में पिछले कई सालों से संविदा/ दैनिक आधार पर मूक, बधिर, दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ा रहे विशेष शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले से संविदा पर कार्यरत शिक्षकों को विशेष शिक्षक के लिए अधिसूचित पद के अनुसार वेतन व भत्ता सहित सभी लाभ देने को कहा है। हालांकि यह लाभ तभी मिलेगा, जब संबंधित संविदा कर्मियों के पास विशेष शिक्षक पद के लिए समुचित और तय योग्यता होगी। सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अनुबंध के आधार पर तदर्थ शिक्षक वर्तमान में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं और विशेष जरूरतों वाले बच्चों की कक्षाएं ले रहे हैं। पीठ ने कहा कि हमें यह भी बताया गया है कि कुछ राज्यों में ये शिक्षक पिछले लगभग 20 वर्षों से कार्यरत हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को तत्काल एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है। इसमें दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 की धारा 79 के तहत नियुक्त दिव्यांग व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्त, संबंधित राज्य के शिक्षा शिक्षा सचिव, भारतीय पुनर्वास परिषद का एक नामित व्यक्ति जो निर्धारित क्षेत्र में ज्ञान रखने वाला सक्षम व्यक्ति को कमेटी में शामिल करने का आदेश दिया है।



कमेटी 12 सप्ताह में कवायद पूरी करने का आदेश



सुप्रीम कोर्ट ने स्क्रीनिंग कमेटी को संविदा और /दैनिक वेतन के आधार पर विशेष जरूरत वाले बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षकों के योग्यता की जांच करने का आदेश दिया है ताकि योग्य पाए जाने पर उनके विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सृजित पद के अनुसार उनके वेतन-भत्ता दिया जाए। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह साफ कर दिया है कि इस आदेश का लाभ सिर्फ उन संविदा शिक्षकों को मिलेगा जिनके पास आरसीआई द्वारा निर्धारित योग्यता वाला प्रमाणपत्र होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के इन शिक्षकों के अनुभव को ध्यान में रखने का निर्देश देने के साथ ही, उचित मामलों में आयु सीमा में छूट पर विचार करने के लिए भी अधिकृत किया है। पीठ से कमेटी को इसके लिए 12 सप्ताह का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ‌यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वेतनमान का लाभ केवल भावी होगा और इसका पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होगा, यानी चयन के बाद उनकी ऐसी नियुक्ति की तारीख से। पीठ ने कहा कि योग्य पाए जाने वाले संविदा/दैनिक शिक्षकों को विशेष शिक्षकों के लिए स्वीकृत पदों पर नियुक्त किया जाएगा और उस पद पर दिया जाने वाला वेतनमान दिया जाएगा। साथ ही कहा है कि जिन राज्यों में पद पहले से स्वीकृत हैं, उन्हें तुरंत चयन प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

केंद्र सरकार का पैमाना


केंद्र सरकार ने कहा कि हमने पैमाना तय किया है। विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूल में 1:10 और मध्य एवं माध्यमिक स्कूल में 1:15 (शिक्षक: बच्चे) के हिसाब से विशेष शिक्षक होने चाहिए।



प्रमुख राज्य कहां कितने हैं विशेष बच्चे



बिहार- 85344



उत्तर प्रदेश- 301718



दिल्ली- 32398



झारखंड- 45598



उत्तराखंड- 4575



पश्चिम बंगाल- 135796



राजस्थान- 71929



हरियाणा- 21111



मध्य प्रदेश- 120764


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