यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले के बाद एक तरफ कई शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया है। वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक उथल-पुथल भी जारी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। सरकार को 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस फैसले पर शिक्षक अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
'आरक्षण नियम सीधी भर्ती में लागू हो'
अनारक्षित छात्र मोर्चा के प्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र मिश्रा के मुताबिक, 1994 का आरक्षण नियम केवल सीधी भर्ती में ही लागू होना चाहिए, जिसमें एक ही परीक्षा हो। 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी। इस भर्ती के लिए अनारक्षित वर्ग का कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी का कटऑफ 66.73 फीसदी था।
इसके विरोध में सड़क पर उतरे 69000 शिक्षक भर्ती के उम्मीदवारों ने कहा कि इस नियम में स्पष्ट है कि अगर ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग के कटऑफ से ज्यादा अंक लाता है, तो उसे अनारक्षित वर्ग में नौकरी मिलेगी, न कि ओबीसी कोटे से। यानी उसे आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा। इसके बाद 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला उलझ गया।
यूपी शिक्षक भर्ती में ओबीसी आरक्षण का मामला क्या है?
उम्मीदवार का दावा है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह सिर्फ 3.86 फीसदी आरक्षण मिला है। यानी 18,598 सीटों में से ओबीसी वर्ग को सिर्फ 2,637 सीटें ही मिलीं। जबकि उस वक्त सरकार का कहना था कि ओबीसी वर्ग से करीब 31 हजार लोगों की नियुक्ति हुई।
सरकार के इस बयान पर अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी वर्ग के जिन 31 हजार लोगों की नियुक्ति हुई हैं, उनमें से करीब 29 हजार अनारक्षित कोटे से सीटें पाने के हकदार थे।
6 जनवरी 2019 को निकली थीं भर्तियां
राज्य सरकार ने 6 जनवरी 2019 को सहायक शिक्षक पदों पर भर्तियां निकाली थीं। इस भर्ती के लिए अनारक्षित वर्ग की कटऑफ 67.11 प्रतिशत और ओबीसी की कटऑफ 66.73 प्रतिशत थी। इस भर्ती में करीब 68 हजार शिक्षकों को नौकरी मिली थी। उम्मीदवारों का आरोप है कि 69 हजार भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई है।
दरअसल बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया है। इस भर्ती को लेकर उम्मीदवारों ने जमकर आंदोलन भी किया था। साथ ही उनका कहना था कि नियमावली में साफ लिखा है कि अगर कोई ओबीसी वर्ग का उम्मीदवार अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी से नौकरी दी जाएगी। उनकी गिनती आरक्षण के दायरे में नहीं की जाएगी।
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