Wednesday, 6 October 2021

छात्र को डांटना खुदकुशी के लिए उकसाना नहीं, अनुशासन बनाए रखने के लिए छात्र को डांटना कोई गुनाह नहीं : सुप्रीमकोर्ट

 नई दिल्ली। स्कूल में छात्र को डांटने और उसकी शिकायत प्रिंसिपल से करने तथा उसके बाद उसके माता-पिता को स्कूल में बुलाने भर से यदि छात्र आत्महत्या कर लेता है तो इसके लिए शिक्षक जिम्मेदार नहीं होगा। 


यह कहते हुए उच्चतम न्यायालय ने एक फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा- 306 के तहत दर्ज केस समाप्त कर दिया। स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए छात्र को डांटना कोई गुनाह नहीं है। 

अदालत ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला सिद्ध करने के लिए कुछ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आरोप होने चाहिए। महज परेशान करने के आरोप पर्याप्त नहीं हैं, इस परेशान करने के आरोपों के साथ कुछ ऐसी कार्रवाई के सबूत भी होने चाहिए, जिससे पता चले कि उसे आरोपी द्वारा उकसाया गया था। यह मामला राजस्थान का है, जहां एक शिक्षक द्वारा डांटे जाने पर एक 14 वर्षीय छात्र ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

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