प्रदेश के साढ़े चार हजार से अधिक सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में 15508 शिक्षकों की भर्ती 100 साल पुराने नियम से होगी। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड शिक्षकों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 को मानता है। वैसे तो 100 साल पुराने एक्ट में समय-समय पर संशोधन होते रहते हैं लेकिन इसके बावजूद कई तरह की विसंगतियां बरकरार हैं और अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं।
यहीं नहीं योग्य शिक्षकों की भर्ती में भी अड़चन आ रही है। सबसे अधिक विवाद कला विषय के शिक्षकों की अर्हता को लेकर है। कला विषय में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (बीएफए) या मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स (एमएफए) जैसी उच्च योग्यता को दरकिनार करते हुए इंटर स्तर के डिप्लोमा को प्राथमिकता दी गई है। वहीं दूसरी ओर प्रशिक्षित स्नातक विज्ञान की अर्हता को लेकर भी विवाद पैदा हो गया है। विज्ञान में भौतिक और रसायन विज्ञान के साथ बीएससी करने वालों से आवेदन मांगे गए हैं। जबकि जीव विज्ञान या वनस्पति विज्ञान से बीएससी करने वालों को बाहर कर दिया गया है। इसे लेकर पहले से प्रतियोगी छात्र आंदोलित हैं।
इनका कहना है
सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में योग्य शिक्षकों का चयन करना माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की जिम्मेदारी है। कायदे-कानून भी अपडेट होना जरूरी है। अन्यथा बेवजह विवाद होने पर पूरी चयन प्रक्रिया बाधित होती है।
सुरेश कुमार त्रिपाठी, शिक्षक विधायक
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