Friday, 31 July 2020

नई शिक्षा नीति में अब जब चाहो और जो चाहो वही पढ़ने की व्यवस्था


नई शिक्षा नीति में वैसे तो कई बदलाव किए गए हैं, लेकिन उच्च शिक्षा में क्रेडिट ट्रांसफर का विकल्प उपलब्ध कराने से छात्रों को 'जब चाहो और जो चाहो' पढ़ने की सुविधा मिलेगी। इससे उच्च शिक्षा में ड्रॉपआउट खत्म होने की उम्मीद है और सकल प्रवेश दर (जीईआर ) में इजाफा होगा। नई व्यवस्था के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी डिग्री कोर्स में प्रवेश लेता है और एक सेमेस्टर या दो सेमेस्टर के बाद छोड़ना चाहता है तो उसे दो फायदे मिलेंगे।एक, जितनी पढ़ाई उसने की है, उसका सर्टिफिकेट या डिप्लोमा मिल जाएगा। दूसरा, उसके द्वारा हासिल किए गए क्रेडिट आगे ट्रांसफर किए जा सकेंगे। मसलन यदि किसी छात्र ने बीटेक की एक साल की पढ़ाई की है और दो सेमेस्टर पूरे किए हैं, लेकिन इसके बाद वह बीकॉम करना चाहता है तो वह सीधे दूसरे वर्ष में एडमिशन ले सकेगा। हो सकता है कि उसे कोई ऑनलाइन ब्रिजकोर्स जैसा कुछ करना पड़े। लेकिन उसे नये सिरे से बीकॉम नहीं पढ़ना होगा। उसके एक साल के क्रेडिट दूसरे कोर्स में समायोजित हो जाएंगे। एआईसीटी के चैयरमैन अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा कि मौजूदा समय में छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ते हैं तो उनके सारे क्रेडिट भी बेकार होते हैं और साल भी।

50 फीसदी सकल प्रवेश दर का लक्ष्य
इस प्रकार उच्च शिक्षा में छात्रों का मौजूदा 10 फीसदी तक का ड्रॉपआउट नई व्यवस्था में खत्म हो सकता है तथा जीईआर बढ़ेगा। देश में अभी उच्च शिक्षा में जीईआर महज 26 फीसदी है। एक आदर्श स्थिति के लिए इसका 50 फीसदी के करीब होना चाहिए। इसे वर्ष 2035 तक 50 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है।

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