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प्रयागराज। 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में ऑनलाइन आवेदन भरने में त्रुटि करने वाले अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों की त्रुटि को मानवीय भूल स्वीकार कर संशोधन की अनुमति का आदेश देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने 60 से अधिक अभ्यर्थियों की याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि इनको देखने से ऐसा लगता है कि यह जानबूझकर की गई गलती है। यह मानवीय त्रुटि नहीं है। अगर अदालतें ऐसी गलतियों को स्वीकार करती रहीं तो इसका नतीजा यह होगा कि अभ्यर्थी इस प्रकार की गलतियों का फायदा उठाते रहेंगे जब तक कि उस पर नजर नहीं जाती है। अगर गलती पकड़ में आ गई तो वो आसानी से यह कह देंगे कि यह मानवीय त्रुटि है। आशुतोष कुमार श्रीवास्तव और 60 अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने दिया है।
याचीगण का कहना था कि उन्होंने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। छह जनवरी 2019 को परीक्षा हुई और 12 मई 2020 को परीणाम आया। सभी याची लिखित परीक्षा में सफल रहे। मगर ऑनलाइन आवेदन भरने में उनसे कुछ त्रुटियां हो गईं। किसी ने अपने बीएड के अंक प्रैक्टिकल और थ्योरी के गलत भर दिए तो कई ने बीएड का रोल नंबर गलत कर दिया। कई लोगों ने अपने स्नातक के अंक भरने में गलती कर दी। याचीगण का कहना था कि यह मानवीय त्रुटि है जिसे सुधारने की अनुमति दी जाए। साथ ही संबंधित प्राधिकारी को निर्देश दिया जाए कि उनके मूल शैक्षणिक दस्तावेज ही स्वीकार करें।
याचीगण ने यह भी बताया कि उन्होंने बेसिक शिक्षा परिषद को इस संबंध में प्रत्यावेदन दिया है जिसका निस्तारण करने का आदेश दिया जाए ताकि मानवीय त्रुटि से हुई इस गलती को सुधारा जा सके। यह भी तर्क दिया गया कि कुछ गलतियां उन कंप्यूटर ऑपरेटरों की वजह से हुई हैं जिनसे उन्होंने फार्म भरवाए हैं।
कोर्ट ने कहा कि इन गलतियों को देखने से ऐसा नहीं लगता कि यह मानवीय त्रुटि है या अनजाने में की गई गलतियां हैं। याचीगण को दिए गए निर्देशों को सावधानी पूर्वक पढ़कर ही आवेदन पत्र भरना चाहिए था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए सर्वश्रेष्ठ योग्यता वाले लोगों का चयन होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि गलतियां ऑपरेटरों की वजह से हुई है. यह दलील स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।
प्रयागराज। 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में ऑनलाइन आवेदन भरने में त्रुटि करने वाले अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों की त्रुटि को मानवीय भूल स्वीकार कर संशोधन की अनुमति का आदेश देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने 60 से अधिक अभ्यर्थियों की याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि इनको देखने से ऐसा लगता है कि यह जानबूझकर की गई गलती है। यह मानवीय त्रुटि नहीं है। अगर अदालतें ऐसी गलतियों को स्वीकार करती रहीं तो इसका नतीजा यह होगा कि अभ्यर्थी इस प्रकार की गलतियों का फायदा उठाते रहेंगे जब तक कि उस पर नजर नहीं जाती है। अगर गलती पकड़ में आ गई तो वो आसानी से यह कह देंगे कि यह मानवीय त्रुटि है। आशुतोष कुमार श्रीवास्तव और 60 अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने दिया है।
याचीगण का कहना था कि उन्होंने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। छह जनवरी 2019 को परीक्षा हुई और 12 मई 2020 को परीणाम आया। सभी याची लिखित परीक्षा में सफल रहे। मगर ऑनलाइन आवेदन भरने में उनसे कुछ त्रुटियां हो गईं। किसी ने अपने बीएड के अंक प्रैक्टिकल और थ्योरी के गलत भर दिए तो कई ने बीएड का रोल नंबर गलत कर दिया। कई लोगों ने अपने स्नातक के अंक भरने में गलती कर दी। याचीगण का कहना था कि यह मानवीय त्रुटि है जिसे सुधारने की अनुमति दी जाए। साथ ही संबंधित प्राधिकारी को निर्देश दिया जाए कि उनके मूल शैक्षणिक दस्तावेज ही स्वीकार करें।
याचीगण ने यह भी बताया कि उन्होंने बेसिक शिक्षा परिषद को इस संबंध में प्रत्यावेदन दिया है जिसका निस्तारण करने का आदेश दिया जाए ताकि मानवीय त्रुटि से हुई इस गलती को सुधारा जा सके। यह भी तर्क दिया गया कि कुछ गलतियां उन कंप्यूटर ऑपरेटरों की वजह से हुई हैं जिनसे उन्होंने फार्म भरवाए हैं।
कोर्ट ने कहा कि इन गलतियों को देखने से ऐसा नहीं लगता कि यह मानवीय त्रुटि है या अनजाने में की गई गलतियां हैं। याचीगण को दिए गए निर्देशों को सावधानी पूर्वक पढ़कर ही आवेदन पत्र भरना चाहिए था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए सर्वश्रेष्ठ योग्यता वाले लोगों का चयन होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि गलतियां ऑपरेटरों की वजह से हुई है. यह दलील स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।
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