परिषदीय स्कूलों की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में ऐसे फर्जी शिक्षकों को भी एक बरस पहले नियुक्ति मिल चुकी है, जो कॉपी पर फेल थे। अब उन्हें शिक्षक पद से हटाने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे आरोपित शिक्षकों को बेसिक शिक्षा परिषद सीधे नोटिस देकर निष्कासित नहीं करेगा, बल्कि पहले उनसे प्रमाण मांगेगा और पक्ष सुनेगा। सीधे नोटिस देने में परीक्षा संस्था और परिषद को कोर्ट में असहज होना पड़ सकता है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में जिन 45383 सहायक अध्यापकों को तीन चरणों में नियुक्ति मिली है, उनमें करीब 51 ऐसे शिक्षक हैं, जो कॉपी पर अनुत्तीर्ण हैं। इसका खुलासा उच्च स्तरीय जांच समिति ने सितंबर 2018 में किया था, इस संबंध में पांच अक्टूबर को शासन का आदेश भी जारी हुआ। उसमें शिक्षकों को नोटिस देने की जगह पहले उनकी कॉपी का पुनमरूल्यांकन कराने का आदेश दिया गया। दोबारा मूल्यांकन में दो शिक्षक कटऑफ के तय अंक पाने में कामयाब हो गए, लेकिन 51 फिर फेल साबित हुए। यह परिणाम फरवरी 2019 में आया। उसी समय परीक्षा संस्था ने शासन को फेल अभ्यर्थियों की सूचना भेजी। शासन में महीनों कार्रवाई के इंतजार में पत्रवली लंबित रही। जुलाई माह में शासन ने परीक्षा संस्था को निर्देश दिया कि वह पुनमरूल्यांकन में अनुत्तीर्ण और नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों को अधिकृत रूप से फेल घोषित करे। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने शासन व परिषद को इस संबंध में अधिकृत पत्र भेज दिया है, इसके बाद भी शासन ने अगली कार्रवाई का अब तक आदेश नहीं दिया है। माना जा रहा है कि जल्द ही ऐसे शिक्षकों को बाहर करने के संबंध में आदेश होगा। परिषद ने तैयारी की है कि ऐसे कथित शिक्षकों को सीधे नोटिस देकर निष्कासित करने का आदेश करना सही नहीं होगा।आरोपित शिक्षक नोटिस को ही कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। ऐसे में पहले आरोपितों को परिषद मुख्यालय बुलाकर उनकी सुनवाई की जाएगी। उनसे लिखित परीक्षा उत्तीर्ण होने का प्रमाण व अन्य साक्ष्य मांगे जाएंगे। शासन कार्रवाई शिक्षकों का प्रोबेशन टाइम पूरा होने के पहले ही करना चाहता है।
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