प्रयागराज : परिषदीय स्कूलों की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा का रिजल्ट शुरू से विवादित है। जिन्होंने परिणाम पर सवाल उठाए उनसे आवेदन लेकर उत्तर पुस्तिकाओं का पुनमरूल्यांकन कराया गया और सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति भी दी जा चुकी है। इसके बाद भी कॉपियों के मूल्यांकन व अन्य नियमों को आधार बनाकर नियुक्ति पाने का जतन निरंतर जारी है। यह प्रRिया अनवरत इसलिए जारी है, क्योंकि भर्ती में अब भी हजारों सीटें रिक्त पड़ी हैं और शासन यह निर्णय नहीं कर सका है, शेष पदों का निराकरण कैसे किया जाएगा?
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन नौ जनवरी 2018 को जारी हुआ। 13 अगस्त को रिजल्ट आया, तय कटऑफ के आधार पर सिर्फ 41556 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। तमाम अभ्यर्थियों के अनुत्तीर्ण होने और चयन के लिए दो-दो कटऑफ घोषित होने से प्रतियोगी असमंजस में थे। उसी बीच मूल्यांकन की तमाम खामियां उजागर हुईं। बवाल बढऩे पर शासन ने पहले जांच कराया फिर भर्ती के प्रावधान के इतर जाकर कॉपियों का नए सिरे मूल्यांकन कराने का निर्णय लिया। इसके लिए 30 हजार से अधिक ने ऑनलाइन आवेदन किया। अफसरों ने नियुक्ति देने में भी मनमानी की भर्ती के पदों के सापेक्ष की जगह सफल अभ्यर्थियों को आधार बनाकर चयन सूची जारी की। जैसे-तैसे दो चयन सूची निकालकर सभी 41556 को नियुक्ति दी गई।मार्च 2019 में पुनमरूल्यांकन का परिणाम आया तो 4706 अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के लिए परिषद ने आवेदन मांगे। उस समय करीब इस भर्ती में तीस हजार से अधिक पद जिलों में खाली बताए गए। दूसरे रिजल्ट में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के बाद भी बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं। शासन ने अब तक इस पदों को भरने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। इसीलिए आए दिन हाईकोर्ट में नई-नई याचिकाएं दाखिल हो रही हैं, खासकर वे अभ्यर्थी कोर्ट पहुंच रहे हैं जो चंद अंक से परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफल नहीं हो सके। वे अब अपने जवाब को सही ठहराने का हर जतन कर रहे हैं। साथ ही अभ्यर्थियों का एक वर्ग पूरे प्रकरण की सीबीआइ जांच कराने पर अड़ा है। भर्ती के खाली पदों पर निर्णय होने से विवाद थमने के आसार हैं लेकिन, इस पर टालमटोल जारी है।
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