पुलिस विभाग के हाथ-पैर कहे जाने वाले सिपाहियों का इस भीषण गर्मी में बुरा हाल है। 46 डिग्री से ज्यादा तापमान के बीच बैरक में रहने वाले सिपाही पंखे के सहारे गर्मी काट रहे हैं। दोपहर में फाइबर की बैरक इतनी ज्यादा गरम हो जाती है जैसे आग तप रही हो। ये हाल पुलिस लाइन में बने फाइबर बैरकों का हैं जहां पर कूलर तक का इंतजाम नहीं है। वहीं पुलिस लाइन में बने अस्तबल में घोड़ों के लिए कूलर लगा है। .
पुलिस लाइन में जिन सिपाहियों को कमरा नहीं मिला है, वे पुलिस लाइन में बने फाइबर के बैरकों में रहते हैं। एक बैरक में करीब छह से आठ सिपाही तख्ता लगाकर सोते हैं। ‘हिन्दुस्तान' संवाददाता ने वहां के हालात की पड़ताल की तो पता चला कि सिपाही भीषण गर्मी से परेशान हैं। एक बैरक में दो सिपाही सोते हुए मिले जो नाइट ड्यूटी करके लौटे थे। उस बैरक में पांच तख्त बिछे हुए थे। तीन पंखों में दो पंखे चल रहे थे। दोपहर 12 बजे तक कमरा गरम हो चुका था। वहीं बगल वाली बैरक में गर्मी से परेशान सिपाही बैरक खाली करके निकल गए थे। पेड़ के नीचे बैठे थे। नाम न छापने पर सिपाहियों ने अपना दर्द बयां किया। एक सिपाही ने बताया कि कोई सुनने वाला नहीं है। इस तपती गर्मी में दिन काटना मुश्किल हो जाता है। रात में भी बैरक के अंदर सोना आसान नहीं है। .
दूसरी ओर,पुलिस लाइन में अस्तबल भी बना है जहां पर पिछले साल घोड़ों के लिए कूलर का इंतजाम किया गया है। दरअसल पिछले साल मध्य प्रदेश में एक घोड़ा गर्मी से परेशान होकर कार में घुस गया था। इसके बाद यहां भी आईजी रमित शर्मा ने अस्तबल का निरीक्षण किया और घोड़ों के लिए कूलर लगवाया था।.
' 46 डिग्री तापमान में फाइबर के बने बैरक में रहते हैं सिपाही.
' दोपहर में तपती गर्मी में पंखे के नीचे हो जाता है बुरा हाल.
पुलिस लाइन के अस्तबल में लगे हैं कई कूलर। ' हिन्दुस्तान.
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