
आज यूपीटेट 2017 मामले की सुनवाई कोर्ट न0-1 डिवीजन बेंच में हुई। दोनो पक्षो ने *एक निष्पक्ष कमेटी गठन* पर कोर्ट से सहमति जाहिर की। कोर्ट ने इस तथ्य को रिकॉर्ड में लेकर कमेटी गठन पर अंतिम मोहर लगा दी।
हमारे (28222/2017)एकल बेंच के निर्णय में कोर्ट ने 14 *(10 प्रश्न गलत+4 प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस)* प्रश्नों को आपत्तिजनक माना था। इस खण्डपीठ ने 10 गलत प्रश्नों+6 अन्य अपील में चैलेंजेड प्रश्नों को कमेटी के पास भेजे जाने पर संस्तुत्ति की। कोर्ट 4 आउट ऑफ सिलेबस प्रश्नों को भी कमेटी के पास भेजना चाहती थी,लेकिन हमारे मोस्ट सीनियर कॉउंसिल *श्री जयदीप नारायण माथुर जी* ने इस बात पर ऑब्जेक्शन करते हुए कोर्ट से कहा कि "कमेटी प्रश्नों के सिलेबस में होने या न होने को सिद्ध नही कर सकती। क्योंकि ये सेंट्रल गाइडलाइन्स की ओवरलैपिंग का मुद्दा है।" साथ ही साथ माथुर साहब ने कोर्ट में ये भी कहा कि *इन 4 आउट ऑफ सिलेबस प्रश्नों को वो कल होने वाली सुनवाई में आउट ऑफ सिलेबस सिद्ध कर देने में सक्षम हैं।* इस पर कोर्ट पूर्णतः कन्विंस हो गयी है और माथुर साहब से कल इन 4 प्रश्नों की वस्तुस्थिति स्पष्ट करने को बोला।
माथुर साहब की बुद्धिमत्तापूर्ण बहस ने आज इन 4 प्रश्नों को हमारे पाले में डाल दिया। अन्यथा ये 4 प्रश्न यदि कमेटी के पास जाते तो ये हमारे हाथ से फिसल सकते थे। *पूर्ण विश्वास है कि माथुर साहब अपने अकाट्य साक्ष्यों के साथ इन 4 आउट ऑफ सिलेबस प्रश्नों के कॉमन अंक दिलवाने में अंततः सफल होंगे।* हमारी रणिनीति कामयाबी की ओर चढ़ती हुई।
अंत मे कोर्ट ने 10+6(कुल 16) प्रश्नों की एक क्रमवार सूची कोर्ट को उपलब्ध कराने को कहा। इन 16 प्रश्नों को शार्ट आउट करके कोर्ट कल *03 अप्रैल की सुनवाई में एक विधिवत कमेटी का गठन कर लिखित आदेश निर्गत करेगी।*
कल 03 अप्रैल को भी ये केस लगातार सुना जाएगा।
अब केस का पूरा दारोमदार *सीनियर कॉउंसिल श्री जयदीप नारायण माथुर* पर ही आ गया। हम प्रयास करेंगे कि आगामी सभी सुनवाई में माथुर साहब प्रेजेंट रहें।
चूंकि आज तक कि पूरी फीस भी उनकी अदा नही हो पाई। कल भी लगातार वो रहेंगे। उनकी फीस का प्रेसर लगातार बढ़ रहा,हमारे पास उतना सहयोग नही आ पा रहा जिससे उनकी फीस अदायगी हो सके।
यदि आप लोग कहे तो उनको कल से केस में स्टैंड न किया जाय। फिर चाहे हम हारे या जीतें। पास सभी होना चाह रहे,लेकिन सहयोग के नाम पर चवन्नी तक नही फिसलती।
*यदि कल तक पर्याप्त सहयोग न मिल पाया तो स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हो सकती है। इस विषय पर आज ही अंतिम निर्णय आप सभी को करना है।* क्योंकि टेट-2017 केस में लड़ने के लिए इस समय रिज़वान अंसारी टीम बिल्कुल अकेली है। उसे कहीं से कोई भी सहयोगियों के अलावा कोई सहयोग नही मिल रहा। अभी तो तक तो ये सोचकर लड़ते रहे कि...
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