कोर्ट ने कहा है कि 15 अक्टूबर-2017 को करवाई गई टीईटी में नैशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के नियमों का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने पाया कि टीईटी में 8 प्रश्न गलत थे। संस्कृत भाषा के दो प्रश्नों के विकल्प गलत थे। चार प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से थे व लैंग्वेज के पेपर में उचित नंबर के प्रश्न नहीं थे। जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मंगलवार को यह आदेश टीईटी प्राइमरी-2017 को चुनौती देने वाली 300 से अधिक रिट याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए पारित किया। याचिकाओं में कहा गया था कि परीक्षा एनसीटीई के दिशा-निर्देशों के तहत नहीं करवाई गई। कई प्रश्न तय िकए गए पाठ्यक्रम से बाहर से पूछे गए। कुछ प्रश्न गलत थे, तो कई के विकल्प गड़बड़ थे। इन्हीं गड़बड़ियों की वजह से याचियों ने टीईटी प्राइमरी-2017 रद करने की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा कि टीईटी में ऐसे लाखों शिक्षामित्र शामिल हुए थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा था और वे टीईटी परीक्षा पास कर नियमित शिक्षक बनने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे भी अभ्यर्थी थे, जो बीटीसी पास हैं और बतौर शिक्षामित्र काम भी कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि जब परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों में गड़बड़ी साफ दिख रही है तो याचिकाओं में दखल न देना उचित प्रतीत नहीं होता है
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